गजल:-''छैन अब''

तिम्रै हुँला भन्ने अठोट, छैन अब... 
घाईते मुटु तर चोट, छैन अब...

जता ततै धोका मात्र पाईन्छ किन ? 
ओत खै? भर पर्दो बोट, छैन अब... 

दुनियाँ जाली गर्छ सधैं छल मात्रै...
सक्छौ भन्न मायामा खोट, छैन अब...  

कहाँ छिन मुना ? न त देख्छु मदन... 
अलिनै छ चुलो के भोट, छैन अब...

तिम्रै हुँला भन्ने अठोट, छैन अब... 
घाईते मुटु तर चोट, छैन अब...

1 comment:

  1. मञ्जरीलाई कसले रिसाउने बनाएछ कुन्नी!!!!

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